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नगर
नगर

                नगर (सुजाता)


लेखक परिचय :-


> सुजाता का वास्तविक नाम एस० रंगराजन है।
> इनका जन्म 3 मई 1935 ई० में चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ ।
> इनकी पच्चीस से अधिक कृत्तियाँ प्रकाशित हो चुकी है जिनमें 'करैयेल्लान शेण्बकप्पू' 'कनवुत् तोलिरशालै' आदि उपन्यास काफी चर्चित और       सम्मानित हुए ।
> यह कहानी 'आधुनिक तमिल कहानियाँ' (नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया) से यहाँ साभार संकलित है।
> इस कहानी के अनुवादक के० ए० जमुना है।



प्रश्न उत्तर :-


1. लेखक ने कहानी का शीर्षक 'नगर' क्यों रखा। शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें।

उत्तर :- लेखक ने कहानी का शीर्षक 'नगर' बहुत सोच समझकर रखा है। यह कहानी नगर जीवन से संबंधित है। नगरों में बड़े-बड़े अस्पताल होते है परन्तु वहाँ के कर्मचारी रोगियों और उसके संबंधियों के साथ हम दर्दी से पेश नहीं आते है। आज की नगरीय व्यवस्था में लोग सिर्फ नाम के लिए या दिखावे के लिए काम करते है, उनमें सेवा नाम का कोई चीज नहीं होता है।


2. पाप्पाति कौन थी और वह शहर क्यों लायी गई थी ?
उत्तर :- पाप्पाति बल्लि अम्माल की बेटी थी। उसे तेज बुखार हो गया था। गाँव के अस्पताल के डॉक्टर ने उसे शहर के अस्पताल में रेफर किया था। उसकी माँ इलाज करवाने के लिए उसे शहर लाई थी और डॉक्टरों के अनुसार मेनिनजाइटिस की शिकार थी।


3. बड़े डॉक्टर पाप्पाति के बारे में पूछताछ क्यों कर रहे थे ?
उत्तर :- बड़े डॉक्टर ने पाप्पाति को जाँच करने के बाद पाया कि उसे मेनिनजाइटिस था। उसका शीघ्र इलाज जरूरी था, अन्यथा उसकी मृत्यु हो सकती थी। अतः बड़े डॉक्टर पाप्पाति के बारे में पूछ-ताछ कर रहे थे।


4. वल्लि अम्माल ने पाप्पाति के लिए क्या मन्नत मानी ?
उत्तर :- वल्लि अम्माल ने पाप्पाति के लिए मन्नत मानी कि यदि पाप्पाति ठीक हो जाएगी तो वैदीश्वरन जी के मंदिर जाकर दोनों हाथों में रेजगारी भरकर भगवान को भेंट चढ़ाऊँगी।