> जन्म :- 19 सितंबर 1927 ई० में > जन्म-स्थान :- लखनऊ, उत्तरप्रदेश > कुँवर नारायण ने कविता लिखने की शुरुआत 1950 ई० के आस-पास की । > निधन :- 15 नवंबर 2017 > इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं :- > काव्य-संग्रह – चक्रव्यूह, परिवेश, हम-तुम, अपने-सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों । > प्रबंध काव्य - आत्मजयी > कहानी संग्रह - आकारों के आस-पास > समीक्षा – आज और आज से पहले > साक्षात्कार - मेरे साक्षात्कार > कुँवर नारायण जी को अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं जो इस प्रकार है - साहित्य अकादमी पुरस्कार, कुमारन आशान पुरस्कार, व्यास-सम्मान, प्रेमचन्द पुरस्कार, लोहिया सम्मान, कबीर सम्मान आदि । > कुँवर नारायण नगर संवेदना के कवि है। > प्रस्तुत कविता 'एक वृक्ष की हत्या' कुँवर नारायण के कविता संग्रह 'इन दिनों' से संकलित है।
प्रश्न उत्तर :-
1. कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार क्यों लगता था ? उत्तर :- जिस प्रकार एक चौकीदार घर की रखवाली करता है, उसी प्रकार वृक्ष पर्यावरण की रखवाली करता है। वृक्ष की एक सूखी डाल चौकीदार के राइफिल की तरह तथा उसके ऊपरी शिखर पर फूल-पत्ती से सजा हुआ भाग चौकीदार के पगड़ी के समान प्रतीत होता है। वृक्ष पुराना होने के कारण अपना हरापन खो दिया है। इसलिए वह खाकी वर्दी पहने हुए प्रतीत होता है। है। अतः कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार लगता था।
2. 'एक वृक्ष की हत्या' केंविता की प्रासंगिकता पर विचार करते हुए टिप्पणी लिखें। उत्तर :- वृक्ष भी जीव है। वृक्ष को काटना जीव हत्या है। वृक्षों की कटाई मानव जीवन के संकट का कारण है। मनुष्य आर्थिक लाभ के लिए वृक्षों को काटता है। यह उसकी मूर्खता है क्योंकि वह अपने भविष्य को सर्वनाश की ओर ढकेल रहा है।
3. अर्थ सपष्ट करें :-
बचाना है, नदियों को नाला हो जाने से, हवा को धुआँ हो जाने से, खाने को जहर हो जाने से ।
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्तियाँ कुँवर नारायण द्वौरा रचित एक वृक्ष की हत्या से लिया गया है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते है कि हमें घर, शहर और देश के बाद नदियों को नाला हो जाने से, हवा को धुआँ हो जाने से, खाने को जहर हो जाने से बचाना चाहिए। इसके लिए हमें वृक्ष की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि वृक्ष वर्षा कराने में सहायक होती है। पेड़-पौधे की जड़े मिट्टी को कसकर जकड़े रखती है जिससे उसकी उपजाऊ शक्ति बनी रहती है। वृक्ष हमें प्राणवायु ऑक्सीजन प्रदान करता है।
4. वृक्ष और कवि में क्या संवाद होता था ? उत्तर :- जब कभी कवि परदेश से घर वापस लौटता था तब वृक्ष चौकीदार की तरह कंवि से प्रश्न पुछता था - तु कौन है ? तो कवि जवाब देता – मैं तेरा दोस्त हूँ। इतना कहकर कवि उसकी ठंडी छाँव में आराम करने के लिए बैठ जाता था । कहने का तात्पर्य यह है कि वृक्ष और मनुष्य के बीच गहरा संबंध है। वृक्ष के बिना मनुष्य और मनुष्य के बिना वृक्ष जीवित नहीं रह सकते है।
5. घर, शहर और देश के बाद कवि किन चीजों को बचाने की बात करता है और क्यों ? उत्तर :- घर, शहर और देश के बाद कवि नदियों को नाला हो जाने से, हवा को धुआँ हो जाने से, खाने को जहर हो जाने से, जंगल को मरूस्थल हो जाने से तथा मनुष्य को जंगल हो जाने से बचाने की बात करता है क्योंकि वृक्ष वर्षा कराने में सहायक होते हैं। पेड़-पौधों की जड़े मिट्टी को कसकर जकड़े रहती है |जिससे उसकी उपजाऊ बनी रहती है वृक्ष हमे प्राण वायु ऑक्सीजन प्रदान करता है |