> जन्म :- 7 मार्च 1911 ई० > जन्म-स्थान :- कसेया, कुशीनगर, उत्तरप्रदेश > मूल निवास :- कर्तारपुर, पंजाब > माता का नाम :- व्यंती देवी > पिता का नाम :- डॉ. हीरानंद शास्त्री (एक प्रख्यात पुरातत्ववेत्ता) > प्रारंभिक शिक्षा :- प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ में घर पर हुई। > 1925 ई० में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक किए । > 1927 ई० में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से इंटर किए। > 1929 ई० में फोरमन कॉलेज, लाहौर से बी.एस.सी. किए । > एम. ए. (अंग्रेजी) लाहौर से किया । > अज्ञेय बहुभाषाविद थे। उन्हें हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, फारसी, तमिल आदि अनेक भाषाओं का ज्ञान था। > वे आधुनिक हिन्दी साहित्य के एक प्रमुख कवि, कथाकार, विचारक एवं पत्रकार थे। > वे देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में भी रहे। > उन्हें साहित्य अकादमी, ज्ञानपीठ, स्त्रुगा (युगोस्लाविया) का अंतरराष्ट्रीय स्वर्णमाल आदि अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए । > निधन :- 4 अप्रैल, 1987 ई० > प्रस्तुत कविता 'हिरोशिमा' उनकी कविताओं के संग्रह 'सदानीरा' से संकलित है।
> उनकी प्रमुख काव्य कृतियाँ निम्नलिखित है :-
भग्नदूत, चिंता, इत्यलम, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, सदानीरा आदि
> कहानी संग्रह :- विपथगा, जयदोल, ये तेरे प्रतिरूप, छोड़ा हुआ रास्ता, लौटती पगडंडिया, आदि > उपन्यास :- शेखरः एक जीवनी, नदी के द्वीप, अपने-अपने अजनबी आदि > साहित्य :- अरे यायावर रहेगा याद, एक बूँद सहसा उछली । > निबंध :- त्रिशंकु, आत्मनेपद, अद्यर्तन, भवंती, अंतरा, शाश्वती > नाटक :- उत्तर प्रियदर्शी > संपादित ग्रंथ :- तार सप्तक, दूसरा सप्तक, तीसरा सप्तक, चौथा सप्तक, पुष्करिणी, रूपांबरा आदि ।
प्रश्न उत्तर:-
1. प्रज्वलित क्षण की दोपहरी से कवि का आशय क्या है ? उत्तर :- जिस सुबह अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था उसी समय सारा शहर प्रकाशमय हो गया था । सुबह दोपहर में तब्दील हो गयी थी। सारा शहर जलकर राख हो गया था। सारी विनाश लीलाएँ क्षण भर में समाप्त हो गयी थी। अतः कवि प्रज्वलित क्षण की दोपहरी कहा है।
2. मनुष्य की छायाएँ कहाँ और क्यों पड़ी हुई है ? उत्तर :- मनुष्य की छायाएँ हिरोशिमा में पड़ी हुई है जो इस बात को प्रमाणित करती है कि सचमुच में अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था जिसमें सारा शहर जलकर राख हो गया था।
3. हिरोशिमा में मनुष्य की साखी के रूप में क्या है ? उत्तर :- हिरोशिमा में मनुष्य की साखी के रूप में वहाँ के दीवारों पर, झुलसे हुए पत्थरों पर तथा उजड़ी हुई सड़कों पर मनुष्य के जलने का निशान आज भी मौजूद है जो इस बात प्रमाणित करती है कि सचमुच में अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था जिसमें सारा शहर जलकर राख हो गया था।
4. 'मानव का रचा सूरज । मानव को भाप बनाकर सोख गया' (व्याख्या कीजिए) | उत्तर :- प्रस्तुत पंक्तियाँ 'अज्ञेय' द्वारा रचित 'हिरोशिमा' शीर्षक कविता से लिया गया है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते है कि जब मनुष्य की विवेक बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और वह इंसानियत के मार्ग से उतरकर हैवानियत के मार्ग पर चला जाता है। तब मनुष्य के द्वारा रचा हुआ सूरजरूपी परमाणुबम निकलता है और मनुष्य को ही जलाकर राख कर देता है।
5. हिरोशिमा कविता से हमें क्या सीख मिलती है ? उत्तर :- हिरोशिमा कविता आधुनिक सभ्यता के दुर्दात मानवीय विभीषिका का चित्रण करती है। इस कविता से सीख मिलती है कि विकास क्रम में हमें मानवता को नहीं भूलना चाहिए और हिंसक प्रवृत्ति पर नियंत्रण रखना चाहिए।
6. अर्थ स्पष्ट करें :-
एक दिन सहसा सूरज निकला, अरे क्षितिज पर नहीं, नगर के चौक, धूप बरसी पर अंतरिक्ष से नहीं फटी मिट्टी से ।
अर्थ:- प्रस्तुत पंक्तियाँ,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन' 'अज्ञेय' द्वारा रचित 'हिरोशिमा' शीर्षक कविता से लिया गया है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते है कि एक दिन अचानक अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया जिसमें सारा शहर जलकर राख हो गया था। कवि ने उस परमाणु बम की तुलना सूरज से की है।
7. कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज क्या है ? उत्तर :- कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज परमाणु बम है। जब मनुष्य की विवेक-बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और वह इंसानियत के मार्ग से उतरकर हैवानियत के मार्ग पर चला जाता है तब यह सूरज रूपी परमाणु बम निकलता है।
8. छायाएँ दिशाहीन सब ओर क्यों पड़ती है ? स्पष्ट करें। उत्तर :- 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था जिसमें सारा शहर जलकर राख हो गया था। सूरज के उगने के विपरीत दिशा में छाया बनती है। लेकिन उस दिन न तो सूरज उगा था और न ही छाया किसी दिशा में बनी थी । अतः छायाएँ दिशाहीन सब ओर पड़ती है।