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NCERT
SOLUTIONS
Exercise - 1.1
Exercise - 1.2
Exercise - 1.3 Exercise -
1.4
Exercise - 1.1
1.निम्नलिखित
संख्याओं का HCF ज्ञात करने के लिए
युक्लिड विभाजन अल्गोरिथम का प्रयोग कीजिए
|
(i) 135 और
225 (ii) 196 और
38220 (iii) 867 और
255
(i) 135 और 225
हल : a
= 225, b = 135 {सबसे बड़ी संख्या को a तथा सबसे छोटी संख्या को b मानते है}
युक्लिड विभाजन अल्गोरिथम के प्रयोग से
a = bq + r (तब)
225 = 135 × 1 + 90
135 = 90 × 1 + 45
90 = 45 × 2 + 0 ( जब हमें r = 0 प्राप्त हो जाता है तो हम आगे हल करना बंद कर देते है )
b = 45 {फिर उसमे से b का मान HCF होता है;}
HCF = 45
(ii) 196 और 38220
हल : a
= 38220, b = 196 (सबसे बड़ी संख्या को a तथा सबसे छोटी संख्या को b मानते है)
युक्लिड विभाजन अल्गोरिथम के प्रयोग से
a = bq + r (तब)
38220 = 196 × 195 + 0 (जब हमें r = 0 प्राप्त हो जाता है तो हम आगे हल करना बंद कर देते है)
b = 196 {फिर उसमे से b का मान HCF होता है;}
HCF = 196
(iii) 867 और 255
हल :
a = 867, b = 255 {सबसे बड़ी संख्या को a तथा सबसे छोटी संख्या को b मानते है}
युक्लिड विभाजन अल्गोरिथम के प्रयोग से
a = bq + r (तब)
38220 = 196 × 195 + 0 {जब हमें r = 0 प्राप्त हो जाता है तो हम आगे हल करना बंद कर देते है}
b = 196 {फिर उसमे से b का मान HCF होता है;}
HCF = 196
2. दर्शाइए कि कोई भी धनात्मक विषम पूर्णांक 6q + 1, या 6q + 3, या 6q + 5, के रूप का होता है जहाँ q कोई पूर्णांक है।
हल : दर्शाना है: a = 6q + 1, 6q + 3 या 6q + 5
माना कि a कोई धनात्मक विषम पूर्णांक है;
जहाँ b = 6 होगा,
जब हम 6 से a को विभाजित करते है जो शेषफल क्रमश: 0, 1, 2, 3, 4 और 5 पाते है;
जहाँ 0 ≤ r < b
यहाँ a एक विषम संख्या है इसलिए शेषफल भी विषम संख्या प्राप्त होता है |
शेषफल होगा 1 या 3 या 5
युक्लिड विभाजन अल्गोरिथम के प्रयोग से हम पाते है;
a = 6q + 1, 6q + 3 या 6q
+ 5
3. किसी परेड में 616 सदस्यों वाली एक सेना (आर्मी) की टुकड़ी को 32 सदस्यों वाले एक आर्मी बैंड के पीछे मार्च करना है। दोनों समूहों को समान संख्या वाले स्तंभों में मार्च करना है। उन स्तंभों की अधिकतम संख्या क्या है, जिसमें वे मार्च कर सकते है?
हल - स्तंभों की अधिकतम संख्या = HCF (616, 32)
a = 616, b = 32 {सबसे बड़ी संख्या को a तथा सबसे छोटी संख्या को b मानते है}
युक्लिड विभाजन अल्गोरिथम के प्रयोग से
a = bq + r (तब)
616 = 32 × 19 + 8 ( जब हमें r = 0 प्राप्त हो जाता है तो हम आगे हल करना बंद कर देते है )
32 = 8 × 4 + 0
b = 8 ( b का मान HCF होता है )
HCF = 8
इसलिए स्तंभों की अधिकतम संख्या = 8
4. यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करके दर्शाइए कि किसी धनात्मक पूर्णांक का वर्ग, किसी पूर्णांक m के लिए 3m या 3m + 1 के रूप का होता है।
हल - दर्शाना है: a2 = 3m और 3m + 1
a = bq + r
माना कि a कोई धनात्मक पूर्णांक है जहाँ b = 3 और r = 0, 1, 2 क्योंकि 0 ≤ r < 3
तब a = 3q +
r कुछ पूर्णांक के लिए q ≥ 0
इसलिए, a = 3q +
0 और 3q +
1 और 3q + 2
अब हम पाते है;
⇒ a2
= (3q + 0)2 और (3q
+ 1)2 और (3q
+2)2
⇒ a2
= 9q2 और 9q2
+ 6q + 1 और 9q2
+ 12q + 4
⇒ a2
= 9q2 और 9q2
+ 6q + 1 और 9q2
+ 12q + 3 + 1
⇒ a2
= 3(3q2) और 3(3q2
+ 2q) + 1 और 3(3q2
+ 4q + 1) + 1
यदि m =
(3q2) और (3q2
+ 2q) और (3q2
+ 4q + 1) हो तो
हम पाते है कि;
a2 = 3m और 3m
+ 1 और 3m +
1
5. यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करके दर्शाइए कि किसी धनात्मक पूर्णांक का घन 9m, 9m + 1 या 9m + 8 के रूप का होता है।
हल - माना, a कोई धनात्मक पूर्णांक है |
युकिल्ड विभाजन प्रमेयिका के प्रयोग से;
a = bq + r जहाँ;
0 ≤ r < b
b = 9 रखने पर
a = 9q + r जहाँ;
0 ≤ r < 9
जब r = 0 हो;
a = 9q + 0 = 9q
a3 = (9q)3 = 9(81q3) या 9m जहाँ m = 81q3
जब r = 1 हो
a = 9q + 1
a3 = (9q + 1)3 = 9(81q3 + 27q2 + 3q) + 1
= 9m + 1 जहाँ m
= 81q3 + 27q2 + 3q
जब r = 2 हो तो
a = 9q + 2
a3 = (9q + 2)3 = 9(81q3 + 54q2 + 12q) + 8
= 9m + 2 जहाँ m
= 81q3 + 54q2 + 12q
अत: किसी धनात्मक पूर्णांक का घन 9m, 9m + 1 या 9m + 8 के रूप का होता है।
Exercise
- 1.2
1. निम्नलिखित संख्याओं को अभाज्य गुणनखंड के रूप में व्यक्त कीजिये:
(i) 140 (ii) 156 (iii) 3825
(iv) 5005 (v)7429
(i) 140 का
मुख्य कारक = 2 × 2 × 5 × 7
140 का अभाज्य गुणनखण्ड = 22 ×
5 × 7
(ii) 156 का
मुख्य कारक = 2 × 2 × 3 × 13
156 का अभाज्य गुणनखण्ड = 22 ×
3 × 13
(iii) 3825 का
मुख्य कारक = 3 × 3 × 5 ×
5 × 17
3825 का अभाज्य गुणनखण्ड = 32 ×
52 × 17
(iv) 5005 का
मुख्य कारक = 5 × 7 × 11 ×
13
5005 का अभाज्य गुणनखण्ड = 5 ×
7 × 11 × 13
(iv) 7429 का
मुख्य कारक = 17 × 19 ×
23
7429 का अभाज्य गुणनखण्ड = 17 × 19
× 23
2. पूर्णांकों
के निम्नलिखित युग्मों के LCM और HCF ज्ञात कीजिए तथा इसकी जाँच
कीजिए कि दो संख्याओं
का गुणनफल = LCM × HCF है:
(i) 26 और 91
(ii) 510 और 92
(iii) 336
और 54
(i) 26 और
91
26 = 2 × 13
91 = 7 × 13
सार्व
गुणनखंड = 13
∴ HCF = 13
LCM = 2 × 7 × 13 = 182
अब,
जाँच,
दो संख्याओं का गुणनफल = LCM × HCF
N1 × N2 = LCM × HCF
26 × 91 = 13 × 182
2366 = 2366
.'. LCM × HCF = दोनों
संख्याओं का गुणनफल |
(ii) 510 और
92
510 = 2 × 3 × 5 × 17
92 = 2 × 2 × 23
सार्व
गुणनखंड = 2
∴ HCF = 2
LCM = 2 × 2 × 3 × 5 × 17 × 23 = 23460
अब,
जाँच,
दो संख्याओं का गुणनखंड = LCM × HCF
N1 × N2 = LCM × HCF
510 × 92 = 2 × 23460
46920 = 46920
.'. HCF × LCM = दोनों संख्याओं का गुणनफल |
(iii) 336 और
54
336 = 2 × 2 × 2 × 2 × 3 × 7
54 = 2 × 3 × 3 × 3
सार्व
गुणनखंड = 2 × 3
∴ HCF = 6
LCM = 2 × 2 × 2 × 2 × 3 × 3 × 3 × 7 = 3024
जाँच,
दो संख्याओं का गुणनफल = LCM × HCF
N1 × N2 = LCM × HCF
336 × 54 = 6 × 3024
18144 = 18144
.'. HCF × LCM = दोनों संख्याओं का गुणनफल |
3. अभाज्य
गुणनखंड विधि द्वारा निम्नलिखित
पूर्णांकों के LCM और HCF ज्ञात कीजिए:
(i) 12, 15 और 21
(ii) 17, 23 और 29
(iii) 8, 9 और 25
उत्तर
(i) 12, 15 और
21
12 = 2 × 2 × 3
15 = 5 × 3
21 = 7 × 3
सार्व
गुणनखंड = 3
HCF = 3
LCM = 3 × 2 × 2 × 5 × 7 = 420
(ii) 17, 23 और 29
17 = 1 × 17
23 = 1 × 23
29 = 1 × 29
HCF = 1
LCM = 17 × 23 × 29 =
11339
(iii) 8, 9 और
25
8 = 2 × 2 × 2
9 = 3 × 3
25 = 5 × 5
यहाँ 1 को छोड़कर अन्य कोई सार्व गुणनखंड नहीं है:
∴ HCF = 1
LCM = 2 × 2 × 2 × 3 × 3
× 5 × 5
= 8 × 9 × 25
LCM = 1800
4. HCF (306, 657) = 9, दिया
है। LCM (306, 657) ज्ञात कीजिए।
उत्तर =
दिया
है , H.C.F. (306, 657)
= 9 ⇒
306 और 657 का H.C.F. = 9
सूत्र-
संख्याओं का गुणनफल = H.C.F. × L.C.M. से,
306 × 657 = 9 × L.C.M.
L.C.M. = 306×6579
= 306 × 73
अत: L.C.M. =
22338
9
LCM = 22338
5. जाँच
कीजिए कि क्या किसी
प्राकृत संख्या n के लिए संख्या
6n अंक 0 पर समाप्त हो
सकती है।
उत्तर-
6n का अभाज्य गुणनखंड = (2 × 3)n
जबकि, कोई प्राकृत संख्या
जो शून्य पर समाप्त होती
है उसके अभाज्य गुणनखंड
(2 × 5)n के रूप का होता
है।
अत:, 6n शून्य पर समाप्त नहीं
होगी।
6. व्याख्या कीजिए 7 × 11 × 13 + 13 और 7 × 6 × 5 × 4 × 3 × 2 × 1
+ 5 भाज्य संख्या क्यों है?
उत्तर- माना A = 7 × 11 × 13 + 13
= 13(7 × 11 + 1)
= 13(77 + 1)
= 13 × 78
अत: यह एक भाज्य
संख्या है क्योंकि इसके
अभाज्य गुणनखंड में 1 को छोड़कर अन्य
दो गुणनखंड हैं।
इसी प्रकार,
माना B = 7 × 6 × 5 × 4
× 3 × 2 × 1 + 5
= 5(7 × 6 × 4 × 3 × 2 × 1 + 1)
= 5 × (1008 + 1)
= 5 × 1009
अत: यह भी एक
भाज्य संख्या है क्योंकि इसके
भी अभाज्य गुणनखंड में 1 को छोड़कर अन्य
दो गुणनखंड हैं।
7. किसी
खेल के मैदान के
चारों ओर एक वृत्ताकार
पथ है। इस मैदान
का एक चक्कर लगाने
में सोनिया को 18 मिनट लगते हैं,
जबकि इसी मैदान का
एक चक्कर लगाने में रवि को
12 मिनट लगते हैं। मान
लीजिए वे दोनों एक
ही स्थान और एक ही
समय पर चलना प्रारंभ
करके एक ही दिशा
में चलते हैं। कितने
समय बाद वे पुनः
प्रांरभिक स्थान पर मिलेंगे?
उत्तर-
एक चक्कर में सोनिया 18 मिनट
लेती हैं।
रवि
एक चक्कर में 12 लगाता है।
वे दोनों एक ही स्थान
पर LCM(18, 12) मिनट के बाद
मिलेंगे।
अत:
18 = 2 × 3 × 3
12 = 2 × 2 × 3
HCF = 2 × 3 = 6
"LCM"=(18×12)/6
= 36 मिनट
Exercise - 1.3
1.सिद्ध
कीजिए कि √5 एक अपरिमेय संख्या
है।
हल
माना
कि √5 एक परिमेय संख्या है`
तब, √5 = pq होना चाहिए जबकि q ≠ 0 तथा p व q पूर्ण संख्याएँ हैं।
माना p और q में 1 के अतिरिक्त कोई अभाज्य गुणनखण्ड सार्वनिष्ठ नहीं है।
अब, √5 = pq
p = √5q
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर, p2 = 5q2
p2, संख्या 5 से विभाज्य है।
p भी संख्या 5 से विभाज्य है।
अब, p, 5 से विभाज्य है, तब माना कि p = 5r
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर, p2 = 25r2
परन्तु हमें यह भी ज्ञात है कि p2 = 5q2
5q2 = 25r2 ⇒ q2 = 5r2
तब, q2, 5 से विभाज्य होगा।
तब, q भी 5 से विभाज्य होगा।
p भी 5 से विभाज्य है और q भी 5 से विभाज्य है।
5, p और q का सार्वनिष्ठ अभाज्य गुणनखण्ड है (जो 1 के अतिरिक्त है)।
यह एक विरोधाभास है क्योंकि हमारी मान्यता के अनुसार p और में (1 के अतिरिक्त) कोई अभाज्य गुणनखण्ड सार्वनिष्ठ नहीं है।
यह संकेत करता है कि हमारी कल्पना “√5 परिमेय संख्या है” असंगत एवं त्रुटिपूर्ण है।
हमारा मानना गलत है | अत: √5 एक अपरिमेय संख्या है।
2. सिद्ध कीजिए कि
एक अपरिमेय संख्या है।
माना कि 3 + 2√5 एक परिमेय संख्या है।
तब, 3 + 2√5 = p/q होना चाहिए जबकि q ≠ 0 और p तथा q धन पूर्णांक हैं।




3. सिद्ध कीजिए कि निम्नलिखित संख्याएँ अपरिमेय है:
(i) 
(ii) 
(iii)

उत्तर-
(i)



यहाँ 2a2 को विभाजित करता है अत: 2a को भी विभाजित करेगा। ...(ii)
[प्रमेय 1.3 द्वारा]
समीकरण (i) तथा (ii) से हम पाते है कि 2a तथा b दोनों को विभाजित करता है जिसमें 2 एक उभयनिष्ठ गुणनखंड है।
इससे हमारी इस तथ्य का विरोधाभास प्राप्त होता है कि a तथा b में 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं है, क्योंकि हमने a तथा b को सह-अभाज्य प्राप्त किया था।
यह विरोधाभासी परिणाम हमारी गलत कल्पना से प्राप्त हुआ है कि
अतः
एक अपरिमेय संख्या है।
(ii)


(iii)


