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मेरे बिना तुम प्रभु
मेरे बिना तुम प्रभु

          मेरे बिना तुम प्रभु (रेनर मारिया रिल्के)


कवि परिचय :-


  • जन्म :- 4 दिसंबर 1875 ई० में
  • जन्म-स्थान :- प्राग, ऑस्ट्रिया (अब जर्मनी)
  • पिता का नाम :- जोसेफ रिल्के
  • माता का नाम :- सोफिया
  • निधन :- 29 दिसंबर, 1926 ई० में
  • इन्होंने प्राग और म्यूनिख विश्वविद्यालयों में शिक्षा पायी ।
  • इनका एक उपन्यास 'द नोटबुक ऑफ माल्टे लॉरिड्स ब्रिज' और 'टेल्स ऑफ आलमाइटी' कहानी संग्रह प्रसिद्ध हैं।
  • इनके प्रमुख कविता संकलन हैं - लाइफ एण्ड सोंग्स, लॉरिस सेक्रिफाइस, एडवेन्ट आदि ।
  • प्रस्तुत कविता 'मेरे बिना तुम प्रभु' विश्व कविता के भाषांतरित संकलन 'देशांतर' से ली गई है।
  • यह कविता हिंदी कवि धर्मवीर भारती द्वारा भाषांतरित है।


प्रश्न उत्तर :-

1. कवि अपने को जलपात्र और मदिरा क्यों कहता है ? 
 उत्तर :- कवि अपने को जलपात्र कहता है क्योंकि जिस प्रकार पात्र में जल रहता है। ठीक उसी प्रकार पात्र रुपी मनुष्य में जल रूपी ईश्वर निवास करते हैं। कवि अपने-आप को मदिरा कहता है क्योंकि जिस प्रकार मदिरा का सेवन कर मनुष्य अपना सुध-बुध खो देता है। ठीक उसी प्रकार भक्त भगवान की भक्ति में लीन होकर अपना सुध-बुध खो देता है।


2. कविता के आधार पर भक्त और भगवान के बीच के संबंध पर प्रकाश डालिए। 
उत्तर :- भक्त और भगवान के बीच गहरा संबंध है। भक्त के बिना भगवान का तो भगवान के बिना भक्त का कोई महत्व नहीं है। ईश्वर के द्वारा बनाई गई सृष्टि का अस्तित्व भी मनुष्य पर ही निर्भर करता है। अगर मनुष्य न हो तो ईश्वर गृहहीन निर्वासित होंगे। उनका स्वागत करने वाला कोई नहीं होगा। वे दर-दर भटकेंगे। इस प्रकार भक्त और भगवान के बीच गहरा संबंध है।


3. शानदार लबादा किसका गिर जाएगा और क्यों ? 'मेरे बिना तुम प्रभु' शीर्षक कविता के आधार पर उत्तर दें। 
उत्तर :- भगवान की महिमा भक्तो की आस्था में निहीत होती है। भक्त भगवान का आधार होता है यदि भक्त न हो तो भगवान का अस्तित्व भी नहीं होगा अर्थात् भगवान का शानदार लबादा गिर जाएगा।


4. कवि रेनर मारिया रिल्के किसको कैसा सुख देते थे ? 
उत्तर :- कवि भगवान की कृपा दृष्टि की शय्या है। कवि के नरम कपोलो पर जब भगवान की कृपादृष्टि विश्राम करती है तब भगवान को सुख मिलता है, आनंद मिलता है।


5. व्याख्या करें :- मैं तुम्हारा वेश हूँ, तुम्हारी वृति हूँ मुझे खोकर तुम अपना अर्थ खो बैठोगे ?'
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्तियाँ रेनर मारिया रिल्के द्वारा रचित 'मेरे बिना तुम प्रभु' शीर्षक कविता से लिया गया है। प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि मैं तुम्हारा रंग-रूप, आकार, इच्छा सब कुछ हूँ, मेरे बिना तुम्हारा कोई महत्व नहीं है। अतः मेरे रक्षा करो।