> श्रीनिवास जी का पूरा नाम मास्ति वेंकटेश अय्यंगार है। > उनका जन्म 6 जून 1891 ई० में कोलार, कर्नाटक में हुआ था। वे कन्नड़ साहित्य के सर्वाधिक प्रतिष्ठित रचनाकारों में एक हैं। > साहित्य अकादमी ने उनके कहानी संकलन 'सण्णा कथेगुलु' को सन् 1968 में पुरस्कृत किया । > उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त हुआ । > यह कहानी कन्नड़ कहानियों से साभार ली गई है। > इस कहानी का अनुवाद बी० आर० नारायण ने किया है।
प्रश्न उत्तर :-
1. मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था? उत्तर :- मंगम्मा का अपनी बहू नंजम्मा से विवाद का मुख्य कारण बहु के द्वारा उसके पोते को पीटा जाना था। जब बहू अपने बेटे को पीट रहीं थी तो मंगम्मा को अच्छा नहीं लगा। उसने मना किया तो दोनों के बीच विवाद हो गया। इसके अतिरिक्त मंगम्मा अपने बेटे को काबू में रखना चाहती थी जबकि नंजम्मा अपने पति पर अधिकार जताना चाहती थी। इस बात को लेकर भी दोनों में विवाद हो गया।
2.रंगप्पा कौन था और वह मंगम्मा से क्या चाहता था ? उत्तर :- रंगप्पा मंगम्मा के गाँव का ही रहनेवाला एक नीच प्रवृत्ति का आदमी था। वह शौकीन मिजाज का और जुआरी था। वह मंगम्मा के सारे पैसे कर्ज के रूप में हड़प लेना चाहता था। साथ ही साथ वह मंगम्मा के साथ शारीरिक संबंध भी स्थापित करना चाहता था ।
3. बहू ने सास को मानने का कौन-सा तरीका अपनायी ? उत्तर :- बहू ने सास को मनाने का एक बहुत अच्छा तरीका अपनायी। वह समझती थी कि मेरा प्यारा बेटा मेरी सास को बहुत प्यारा है। वह अपनी बेटे को योजना पूर्वक झगड़े को निपटाने के लिए अपने सास के पास भेज दी। इस प्रकार उसका मान भी बचा रहा और काम भी निकल गया ।
4. मंगम्मा की बहु ने विवाद निपटाने में पहल क्यों की ? उत्तर :- मंगम्मा की बहू नंजम्मा को पता चल गया था कि रंगप्पा उसकी सास के सारे पैसे कर्ज के रूप में हड़प लेना चाहता था। इसलिए मंगम्मा की बहू ने विवाद निपटाने में पहल किया ।
5.मंगम्मा के अंधविश्वासी होने का पता किस बात से चलता है? उत्तर :- जब मंगम्मा ने श्री निवास जी को बताया कि कौए से आदमी के शरीर का स्पर्श नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे जान खतरा होता है। इससे पता चलता है कि मंगम्मा अंधविश्वासी थी ।
6. मंगम्मा ने अपना 'धरम' नहीं छोड़ा, कैसे ? उत्तर :- रंगप्पा मंगम्मा के साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता था । लेकिन मंगम्मा उससे हमेशा दूरी बनाए रखी। इस प्रकार मंगम्मा ने अपना 'धरम' नहीं छोड़ा।