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नागरी लिपि
नागरी लिपि

         नागरी लिपि 


 लेखक परिचय :-

  •  जन्म :- 1935 ई० में
  •  शिक्षा की भाषा मराठी थी।
  • प्रस्तुत निबंध गुणाकर मुले की पुस्तक 'भारतीय लिपियों की कहानी' से लिया गया है।
  • 1. अक्षरों की कहानी                                      2. महान वैज्ञानिक
  • 3. प्राचीन भारत के महान वैज्ञानिक                   4. आधुनिक
  • 5. सौर मंडल                                                6. सूर्य
  • 7.नक्षत्रलोक                                                 8.अंतरिक्षाका
  • 9. ब्रह्मांड परिचय                                          10. भारतीय लिपियों की कहानी
  • 11. भारतीय विज्ञान की कहानी                       12. मैंडलीफ

 जन्म-स्थान :- महाराष्ट्र के अमरावती जिले के एक गाँव में
 उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा ग्रामीण परिवेश में हुई ।
 उन्होंने मिडिल स्तर तक मराठी पढ़ाई की। फिर वे वर्धा चले गए और वहाँ उन्होंने दो वर्ष तक नौकरी की, साथ ही हिन्दी व अंग्रेजी का अध्ययन किया ।
फिर इलाहाबाद आकर उन्होंने गणित विषय में मैट्रिक से लेकर एम०ए० तक की पढ़ाई की।
गुणाकार मुले की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित है :


प्रश्न उत्तर :-

1. देवनागरी लिपि के अक्षरों में स्थिरता कैसे आयी है ? 
उत्तर :- लगभग 200 साल पहले पहली बार देवनागरी लिपि के टाइप बने और इसमें पुस्तके छपने लगी तब जाकर देवनागरी लिपि के अक्षरों में स्थिरता आई।


2. देवनागरी लिपि में कौन-कौन सी भाषाएँ लिखी जाती है ? 
उत्तर :- हिंदी एवं इसकी विविध बोलियाँ, नेपाल की नेपाली (खसकुरा) एवं नेवारी भाषाएँ, मराठी भाषा एवं संस्कृत भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है।


3. लेखक ने किन भारतीय लिपियों से देवनागरी का संबंध बताया है ? 
उत्तर :- लेखक ने गुजराती लिपि और बंगला लिपि से देवनागरी का संबंध बताया है। दक्षिण भारत की लिपियाँ देवनागरी लिपि से बिलकुल भिन्न है। फिर भी दक्षिण भारत की कुछ लिपियों जैसे-तमिल-मलयालम और तेलुगु-कन्नड़ लिपियों का विकास देवनागरी लिपि की तरह ही हुआ है।


4. उत्तर भारत में किन शासकों के प्राचीन नागरी लेख प्राप्त होते हैं? 
उत्तर :- उत्तर भारत में मेवाड़ के गुहिल, सांभर-अजमेर के चौहान, कन्नौज के गाहड़वाल, काठियावाड़-गुजरात के सोलंकी, आबू के परमार, जेजाकभुक्ति (बुंदेलखण्ड) के चंदेल तथा त्रिपुरा के कलचुरि शासकों के लेख नागरी लिपि में ही है उत्तर भारत की इस नागरी लिपि को हम देवनागरी के नाम से जानते हैं।


5. पटना से नागरी का क्या संबंध लेखक ने बताया है ? 
उत्तर :- चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) का व्यक्तिगत नाम 'देव' था । इसलिए गुप्तो की राजधानी पटना को 'देवनगर' कहा जाता था । देवनगर में प्रयुक्त लिपि का नाम 'देवनागरी' पड़ा ।


6. नंदी नागरी किसे कहते हैं? किस प्रसंग में लेखक ने उसका उल्लेख किया है ?
उत्तर :- दक्षिण भारत में पोथियाँ लिखने के लिए नागरी लिपि का व्यवहार होता था । दक्षिण भारत की यह नागरी लिपि नंदिनागरी कहलाती थी।कोंकण के शिलाहार, मान्यखेट के राष्ट्रकूट, देवगिरि के यादव तथा विजयनगर के शासकों के लेख नंदिनागरी लिपि में है। सबसे पहले विजयनगर के राजाओं के लेखों की लिपि को ही नंदिनागरी नाम दिया गया था।


7. नागरी लिपि के आरंभिक लेख कहाँ प्राप्त हुए हैं ? उनके विवरण दें।
उत्तर :- नागरी लिपि के आरंभिक लेख दक्षिण भारत से प्राप्त हुए है। दक्षिण भारत में तमिल-मलयालम और तेलुगु-कन्नड़ लिपियों का स्वतंत्र विकास हो रहा था। फिर भी दक्षिण भारत के अनेक शासकों ने नागरी लिपि का ही इस्तेमाल किया है। ग्यारहवीं सदी के राजराज एवं राजेंद्र जैसे प्रतापी राजाओं के सिक्कों पर नागरी अक्षर देखने को मिलते हैं। बारहवीं सदीं के केरल के शासकों के सिक्कों पर 'वीरकेरलस्य' जैसे शब्द नागरी लिपि में अंकित है।


8. ब्राह्मी और सिद्धम लिपि की तुलना में नागरी लिपि की मुख्य पहचान क्या है ?
उत्तर :- गुप्तकाल की ब्राह्मी लिपि और बाद की सिद्धम लिपि के अक्षरों के सिरों पर छोटी, तिरछी लकीरें होती थी । परंतु नागरी लिपि के अक्षरों के सिरों पर पूरी लकीरें होती है। ये लकीरें उतनी ही लंबी होती है जितनी अक्षरों की चौड़ाई।


9. नागरी लिपि कब एक सार्वदेशिक लिपि थी ?
उत्तर :- ईसा की 8 वीं से 11 वीं सदियों में नागरी पूरे देश में व्याप्त थी। उस समय नागरी लिपि एक सार्वदेशिक लिपि थी।


10. गुर्जर प्रतीहार कौन थे ?
उत्तर :- गुर्जर प्रतीहार बाहर से भारत आए थे। ईसा की आठवीं सदी में अवंती प्रदेश में उन्होंने अपना शासन खड़ा किया और बाद में कन्नौज पर भी अधिकार कर लिया था । मिहिर भोज, महेंद्रपाल आदि प्रख्यात प्रतिहार शासक हुए ।


11. नागरी-लिपि के साथ-साथ किसका जन्म होता है ? इस संबंध में लेखक क्या जानकारी देता है ?
उत्तर :- नागरी लिपि के साथ-साथ अनेक प्रादेशिक भाषाएँ भी जन्म लेती हैं। भारतीय इतिहास एवं संस्कृति के एक नए युग की शुरुआत होती है। भारत इस्लाम के संपर्क में आता है। इस्लामी शासकों का शासन आरंभ होता है। नए संप्रदाय अस्तित्व में आते हैं।


12. नागरी को देवनागरी क्यों कहते हैं ? लेखक इस संबंध में क्या बताता है ?
उत्तर :- विद्वानों में बड़ा मत भेद है । एक मत के अनुसार, गुजरात नागर के ब्राह्मणों ने सबसे पहले इस लिपि का इस्तेमाल किया, इसलिए इसका नाम नागरी पड़ा । एक अन्य मत के अनुसार, बाकी नगर तो सिर्फ नगर है। परंतु काशी देवनगरी है, इसलिए काशी में प्रयुक्त लिपि का नाम देवनागरी पड़ा ।


13. नागरी की उत्पत्ति के संबंध में लेखक का क्या कहना है ? पटना से नागरी का क्या संबंध लेखक ने बताया है?
उत्तर :- नागरी शब्द किसी नगर अर्थात् बड़े शहर से संबंधित है। 'पादताडितकम्' नामक एक नाटक से जानकारी मिलती है कि पाटलिपुत्र (पटना) को नगर कहते थे । चंद्रगुप्त (द्वितीय) 'विक्रमादित्य' का व्यक्तिगत नाम 'देव' था, इसलिए गुप्तों की राजधानी पटना को 'देवनगर' भी कहा जाता होगा। देवनगर की लिपि होने से उत्तर भारत की प्रमुख लिपि को बाद में देवनागरी नाम दिया गया होगा।